- सचिवालय कोषागार ने पीपीओ नंबर के साथ जारी की सूची

पटना (रजनीश के झा)। बिहार के दो विधायक, दो विधान पार्षद, दो राज्यसभा सदस्य और एक लोकसभा सदस्य पदधारक के रूप में प्राप्त वेतन के अलावा विधान मंडल के पूर्व सदस्य के रूप में पेंशन भी उठा रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय की ओर से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी जानकारी में बताया गया है कि कुल सात वर्तमान सदस्य पेंशन भी उठा रहे हैं। वरीय कोषागार पदाधिकारी, सचिवालय कोषागार की ओर से दी गयी सूचना में पीपीओ (पेंशन पेय आर्डर) नंबर, लाभुकों का नाम, मिलने वाली राशि और पेंशन मिलने की तिथि की पूरी जानकारी दी गयी है। कोषागार की सूचना के अनुसार उपेंद्र प्रसाद सिंह और सतीश चंद्र दुबे राज्य सभा सदस्य हैं। देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी से लोकसभा सदस्य हैं। ललन सर्राफ और संजय सिंह एमएलसी हैं। नीतीश मिश्रा और बिजेंद्र प्रसाद यादव विधान सभा सदस्य हैं। बिजेंद्र प्रसाद यादव खुद वित मंत्री भी हैं। बिजेंद्र प्रसाद यादव को 2005 से पेंशन मिल रही है और पेंशन राशि मात्र दस हजार रूपये है, जबकि उपेंद्र प्रसाद सिंह को भी 2005 से ही पेंशन मिल रही है और राशि 47 हजार रूपये है।

कोषागार की सूचना के कोषागार की सूचना के अनुसार, देवेश चंद्र ठाकुर को 2020 से, सतीश चंद्र दुबे को 2019, ललन सर्राफ को 2020 से, संजय सिंह को 2018 से तथा नीतीश मिश्रा को 2015 से पेंशन मिल रही है। कोषागार की ओर से 2 दिसंबर, 2025 को भेजी गयी सूचना के अनुसार, शिव प्रकाश राय ने 26 नवंबर, 25 को सूचना मांगी थी।इस संबंध में लाईव आर्यावर्त ने पेंशन से जुड़े अधिकारियों से बातचीत की तो पता चला कि हर पेंशनधारी को प्रति वर्ष जीवन प्रमाण पत्र देना पड़ता है।
इसका मतलब यह है कि ये सभी लोग हर साल इस आशय का प्रमाण पत्र बैंक को दे रहे हैं कि वे जीवित हैं। इसका आशय यह भी है कि वेतन के साथ पेंशन की राशि मिलने से अनभिज्ञ नहीं हैं। यह भी संयोग है कि राजनीतिक रूप से ये सभी एक धारा से जुड़े हुए लोग हैं और सत्ताशीर्ष तक उनकी पहुंच आसान है। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने बताया कि ऐसे मामले पहले भी आते रहे हैं। राजनीतिक गलियारे से मिली सूचना के अनुसार, अनावश्यक भुगतान की वसूली भी होती रही है। मामला पेंशन का हो या अन्य किसी तरह के अन्य अवैध भुगतान का।
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